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सुनो…
मैं तुमसे कह रही हूं….सुनो
मेरी बेलौस मुहब्बत पे हक़ तुम्हारा है
मैं सिर्फ़ तुममें ही खोकर पनाह पाती हूं
मेरे ख्वाबों की इंतेहां पे हक़ तुम्हारा है
सुनो…
मैं तुमसे…
सिर्फ़ तुमसे कह रही हूं…सुनो
यूं तो तुम मेरे कुछ नहीं लगते
मगर तुम ही मेरे सबकुछ हो सुनो
मेरी दुनिया तो सिमटती है तुम्हीं पे आकर
तुम्हें चुनना है चुनो इश्क या कुछ और चुनो
सुनो…
मैं तुमसे जो कुछ भी कह रही हूं…सुनो
धड़कने बदहवास होती हैं
जब भी तुम आस-पास होते हो
दिल भी सीने में मचल उठता है
जब भी तुम मुझसे बात करते हो
पर सुनो…
जितनी शिद्दत से इश्क मैंने किया है तुमसे
ऐसी चाहत महज किस्सों में मिलेगी अबसे
मगर फिर भी हो तुम आज़ाद सुनो…
तुम्हें देती हूं मैं आवाज़ …सुनो…
सुनो…
मैं तुमसे कह रही हूं…सुनो
उम्र के एक दौर में तुमको
मेरी यादों से जूझना होगा
जिस तरह मेरा दिल तड़पता है
वैसे तुमको भी सिसकना होगा
पर सुनो….
मैं तुम्हीं से कह रही हूं…सुनो
अब गई तो मैं कभी लौट नहीं पाऊंगी
अबकी बिखरी तो कभी फिर ना सिमट पाऊंगी
इसलिए सोच लो एक बार …सुनो
अपने दिल की भी मेरे यार…सुनो
सुनो…
मेरा दिल तुमसे कह रहा है…सुनो
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