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मेरे हिस्से ये क्या आया…………

Ruchi Shukla
Ruchi Shukla
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मेरे हिस्से ये क्या आया
क्या बांटा था और क्या पाया
तुमने ही बोला था एक दिन
जो बोओगे, वो काटोगे
मैंने सुख चुन-चुनकर बोए
फिर दुख की ये कैसी छाया
मुझको तो हे जग के स्वामी
तेरा न्याय तनिक ना भाया
मेरे हिस्से ये क्या आया…………
जब से होश संभाला मैंने
तेरी छवि को पाला मन में
तेरे ही रस्ते पे चला मैं
खुद को तुझमें ढाला मैंने
पर सब करके भी क्या पाया
विचलित मन, बेचैनी, माया
मेरे हिस्से ये क्या आया…………
इस तृष्णा से मौत भली है
देख ये दुनिया किधर चली है
बाहर सबकुछ चकाचौंध है
भीतर तेरी कमी खली है
उसको धूप और क्या छाया
जिसके सिर पर तेरा साया
मेरे हिस्से ये क्या आया…………
मेरे हिस्से तन्हा रातें
दुनियाभर की कड़वी बातें
तेरा ये कैसा विधान है
तू ही तो करुणा निधान है
देख मेरा तन-मन मुरझाया
उसको खोया तो क्या पाया
मेरे हिस्से ये क्या आया…………
मुझको फिर वो प्यार दिला दे
मुझको मुझसे फिर मिलवा दे
जो कुछ भी छीना था मुझसे
एक-एककर सबकुछ लौटा दे
तेरी सत्ता….तेरी माया….
तेरा ही सब किया-कराया
मेरे हिस्से ये क्या आया…………

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