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एक ख्वाहिश….

Ruchi Shukla
Ruchi Shukla
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‘कौन हूं मैं’ आज मैं ये जानता हूं
अपनी परछाईं को मैं पहचानता हूं
कल तलक अनजान था तेरे शहर में
आज सबकी फितरतें पहचानता हूं
देखता हूं जब भी ऊपर आसमां को
मैं इसे छू लूंगा एक दिन, सोचता हूं
कुछ सितारे तोड़कर इस आसमां से
मैं तेरी दुनिया सजाना चाहता हूं
दुश्मनी को दोस्ती का रंग देकर
मैं नई दुनिया बसाना चाहता हूं

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